
हाल ही में हुए छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट सभी के लिए अप्रत्याशित रहा है। जिसमें भाजपा ने 90 में से 54 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर अपना एकतरफा चुनावी परचम लहरा दिया है। वहीं, दूसरी ओर आशा के बिल्कुल विपरीत कांग्रेस की स्थिति बहुत बुरी नजर आई। वह सिर्फ 35 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। अलावा इसके कांग्रेस के कई दिग्गज मंत्री तक अपनी सीट बचा नहीं पाए और उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।
वर्तमान चुनावी परिणाम को लेकर माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने ‘भरोसे की सरकार’ के बजाय ‘मोदी सरकार की गारंटी’ पर भरोसा किया। राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि कई स्थानीय मुद्दों ने भी चुनावी परिणाम को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इन सब के बीच धरमजयगढ़ के वर्तमान राजनीतिक हालात भी काफी अजीबोगरीब व हास्यास्पद से हो गए हैं।
वर्तमान विधानसभा चुनाव में रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विधानसभा सीट से लालजीत राठिया ने तीसरी बार जीत हासिल की है। पिछली बार 40 हजार से अधिक मतों से जीतने वाले लालजीत राठिया के निकटतम प्रतिद्वंद्वी व बीजेपी प्रत्याशी हरिश्चंद्र राठिया 9 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए हैं। लेकिन दोनों पार्टियों के सामने ‘करूं मैं क्या करूँ’ जैसे सवाल तब मुह बाए खड़े हो गए जब प्रदेश में बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत के साथ जबरदस्त वापसी की।
अब दोनों खेमों की स्थिति कभी खुशी कभी गम जैसी न होकर खुशी भी और गम भी वाली हो गई है। स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता लालजीत राठिया के फिर से विधायक बनने पर जश्न जरूर मना रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं उन्हें प्रदेश से अपनी सरकार जाने का मलाल भी है। वहीं, भाजपा में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है जिसमें वे छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने की ख़ुशी भी मना रहे हैं और स्थानीय बीजेपी प्रत्याशी हरिश्चंद्र राठिया के हार जाने से ग़मगीन भी हैं। तो आम तौर पर चुनावी परिणाम के बाद स्थानीय स्तर पर जिस तरह का माहौल इससे पहले देखने को मिलता था उसके उलट इस बार धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और बीजेपी ‘मैं रोऊँ या हसु’ वाले हालात से भी रूबरू होती नजर आ रही है।






