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अडानी की और बढ़ी परेशानी,.क्रोध के स्वर विकाश के नाम पर विनाश………

धरमजयगढ़: पुरंगा कोल ब्लॉक में अडानी को दिए गए कोल ब्लॉक कि जनसुनवाई रद्द करने की मांग को लेकर आज सैकड़ों ग्रामीण जल, जंगल, जमीन,जंगली जानवर को बचाने के लिए हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी करते हुए रैली निकाल कर रायगढ़ कलेक्टर ऑफिस पहुंचे। कलेक्ट्रेट परिसर में नारेबाजी करते हुए ग्रामीणों द्वारा गेट खोलो गेट खोलो के नारे लगाए। वहीं ग्रामीणों की मांग है कि जिला कलेक्टर ग्रामीणों से चर्चा करते हुए उनकी मांग को सुने।


विदित हो कि रायगढ़ जिले के धर्मजगढ क्षेत्र में अदानी के कोल ब्लॉक की जनसुनवाई 11 नवंबर को प्रस्तावित है 1जिसका की प्रभावित गांवों के ग्रामीणों द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है, स्पष्ट उनका कहना है कि इस कोल माइन्स के खुल जाने से हमारे जमीन और जंगल के साथ ही जंगली जानवरों का भी सत्यानाश हो जाएगा और यह जनसुनवाई को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत तेन्दुमुड़ी में नीति शनिवार को आयोजित पेशा कानून के तहत विशेष ग्राम सभा में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड, पुरुंगा (अडानी ग्रुप) की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पारित करते हुए आगामी 11 नवंबर को निर्धारित पर्यावरणीय जनसुनवाई को निरस्त करने का निर्णय लिया। ग्राम सभा को प्राप्त जानकारी के अनुसार, कंपनी द्वारा 869.025 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2.25 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की उत्पादन क्षमता वाली भूमिगत कोयला खदान का प्रस्ताव दिया गया है। प्रस्तावित क्षेत्र में 621.331 हेक्टेयर वन भूमि, 26.898 हेक्टेयर गैर-वन भूमि, एवं 220.796 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है।
यह खदान ग्राम पंचायत तेन्दुमुड़ी, पुरुंगा और साम्हरसिंघा के क्षेत्र को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगी।ग्राम सभा की आपत्तियाँग्रामवासियों ने अपने प्रस्ताव में कहा कि—वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत ग्राम के निजी दावे अभी लंबित हैं, ऐसे में बिना स्वीकृति किसी भी परियोजना की कार्यवाही गैरकानूनी है।
घना जंगल और हाथियों का प्राकृतिक आवास
क्षेत्र पेशा कानून के अंतर्गत आता है, और ग्राम सभा ने इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है। यह क्षेत्र पाँचवीं अनुसूची में शामिल है तथा छत्तीसगढ़ पेशा अधिनियम 2022 के तहत संरक्षित है। प्रस्तावित खनन क्षेत्र में कोकदार आरक्षित वन क्षेत्र आता है, जो अत्यंत घना जंगल है और हाथियों का प्राकृतिक आवास है।ग्रामवासियों ने चिंता व्यक्त की कि भूमिगत खनन से विशाल गड्ढों में जल भराव होगा, जिससे आस-पास के नदी-नालों के जल स्रोत सूख सकते हैं, और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।धरमजयगढ़ वनमंडल में अब तक 167 ग्रामीणों की मृत्यु हाथियों के हमलों में और 68 हाथियों की मौत दर्ज की जा चुकी है। वहीं छाल रेंज में 54 ग्रामीणों और 31 हाथियों की मौत हुई है। ग्रामीणों ने चेताया कि खनन शुरू होने से जंगली हाथियों के विचरण क्षेत्र में बाधा, ध्वनि और वायु प्रदूषण, तथा ग्रामवासियों की जान-माल का खतरा बढ़ जाएगा।

*रिपोर्टर : शेख आलम धरमजयगढ़*

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