फिलहाल एक राजनीतिज्ञ पर सबकी निगाह……….

नगर निकाय चुनाव 2025 में नाम वापसी की अंतिम तिथि आज होने के कारण निर्दलीय प्रत्याशी रविन्द्र राय पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। चुनावी माहौल में इस बात को लेकर चर्चाएँ तेज़ हैं कि वे नाम वापस लेंगे या मैदान में डटे रहेंगे। अफवाहों का बाजार गर्म है, और उनके फैसले से पूरा समीकरण बदल सकता हैं।
भाजपा प्रत्याशी अनिल सरकार, जो मुख्य रूप से बंग समाज के बहुत बड़े समर्थन के बलबूते चुनाव लड़ रहे हैं, के लिए रविन्द्र राय एक बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। यदि रविन्द्र राय चुनावी मैदान में बने रहते हैं, तो यह संभावित रूप से भाजपा के वोटबैंक को प्रभावित कर सकता है। रविन्द्र राय के मैदान में रहने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ ले सकता है।
अब देखना होगा कि रविन्द्र राय अंतिम समय में क्या फैसला लेते हैं—क्या वे नाम वापस लेकर भाजपा को मजबूत करेंगे, या निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ देंगे? अनिल सरकार के समर्थकों का कहना है कि अनिल को बंग समाज का भरपूर समर्थन है , जबकि रविन्द्र राय समर्थक महज इसे प्रोपेगेंडा बता रहे हैँ , राय समर्थकों की मानें तो ना तो बंग समाज ने किसी का नाम प्रस्तावित किया था ,न ही भाजपा ने समाज के साथ कोई राय मशविरा किया है, जबकि 2004 के चुनाव में बाकायदा बंग समाज के लोगों से विचार विमर्श औऱ सहमति के बाद श्रीमती संगीता राय को टिकट दिया गया था ,समाज की सहमति की सामान्य सी प्रक्रिया को पूरी न करने के कारण बंग समाज में भाजपा को लेकर नाराजगी की बात भी बताई जा रही है , बंग समाज को भाजपा का सुदृढ़ वोट बैंक माना जाता है, ऐसे में बंग समाज की नाराजगी भाजपा के लिये बहुत बड़ी चिंता का कारण बन सकती है! हालांकि भाजपा जैसी पार्टी जिसका मुख्य नारा ही ” सबका साथ, सबका विकास ” है , उसने प्रत्याशी चयन में अपने इतने बड़े वोट बैंक से परामर्श किये बिना अनिल सरकार को उम्मीदवार बनाया होगा, इसकी संभावना कम ही है





